राष्ट्रीय औषध निर्भरता उपचार केन्द्र
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परिचय वर्ष 1988 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में औषध निर्भरता उपचार केन्द्र स्थापित किया गया और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, नई दिल्ली के परिसर से कार्यात्मक था। इसे 2003 में राष्ट्रीय केंद्र )राष्ट्रीय औषध निर्भरता उपचार केंद्र) के रूप में उन्नत किया गया और अप्रैल2003 के बाद गाजियाबाद में अपने नए परिसर से पूरी तरह परिचालनरत हो गया है। केंद्र को इनमें शामिल किया गया है : 1. देश में मादक पदार्थों के सेवन की भयावहता का आकलन। 2. रोगियों को चिकित्सीय देखभाल उपलब्ध कराना - दिल्ली की शहरी मलिन बस्तियों में रोजाना ओपीडी, विशेष क्लिनिक, वार्ड और सामुदायिक क्लिनिक के माध्यम से अस्पताल और समुदाय आधारित। 3. स्वास्थ्य शिक्षा 4. जनशक्ति विकास - कर्मचारियों की कई श्रेणियों का प्रशिक्षण 5. शरीर के तरल पदार्थ और स्वास्थ्य की क्षति में मादक दवाओं का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला की स्थापना। 6. प्रलेखन, संसाधन सामग्री के प्रकाशन और डेटाबेस का निर्माण 7. अनुसंधानकेंद्र को प्रत्येक वर्ष4000 नए रोगियों और 35000 पुराने रोगियों को क्लिनिकल देखभाल हेतु चिकित्सीय देखभाल प्रदान करता है। यह अपने समुदाय के क्लिनिक में 33000 रोगियों को चिकित्सीय देखभाल प्रदान करता है। प्रत्येक वर्ष 600 रोगियों के अलावा, तम्बाकू उपयोग समाप्ति क्लिनिक, किशोर क्लिनिक में 40 रोगियों और दोहरे निदान क्लिनिक में 300 रोगियों को देखा जाता है।
वर्ष 1999-2012 में केंद्र में बहुत अधिक वृद्धि और अनेक उपलब्धियां देखी गई। केंद्र द्वारा प्रशिक्षकों, चिकित्सा डॉक्टरों (जीडीएमओ(, नर्सों और प्रयोगशाला कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए विकसित पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण अनुसूची, विधियां और संसाधन सामग्रियां हैं। जनवरी1989 और अक्टूबर 2007 के बीच, डॉक्टरों के लिए 40 पाठ्यक्रमों का आयोजन किया गया है। डॉक्टरों के लिए विभिन्न मैनुअल उपलब्ध हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम की समीक्षा की गई और संसाधन व्यक्तियों की कार्यशालाओं के माध्यम से संशोधित किया गया है।
चिकित्सीय देखभाल के अलावा, एनडीडीटीसी को अन्य अनेक क्षेत्रों में शामिल किया गया है। अपनी स्थापना के समय से, एनडीडीटीसी ने देश में नेतृत्व की भूमिका निभाई है और देखभाल, स्नातकोत्तर मनोरोग विज्ञान के छात्रों और स्वास्थ्य व्यावासायियों के प्रशिक्षण, संसाधन सामग्री के विकास, अनुसंधान और नीति नियोजन के विभिन्न दोहरे मॉडल के विकास पर कार्य किया है।
हाल के योगदानों का एक संक्षिप्त अवलोकन निम्नलिखित है : - देखभाल के मॉडल का विकास - क्षमता निर्माण - राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान - ओरल मॉर्फिन, बुप्रीनोरफाइन, बुप्रीनोफाइन और नैलोक्सोन और मेथाडोन के उपयोग द्वारा मौखिक प्रतिस्थापन उपचार (ओएसटी) - नीति और योजना
एनडीडीटीसी के संकाय सदस्य विभिन्न विशेषज्ञ समितियों के सदस्य और क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी समूह, और नीति विकास में योगदान देते हैं। केंद्र का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी), संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण सम्मेलनों के कार्यान्वयन के लिए निगरानी निकाय का एक सदस्य है।
केंद्र की अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं:
- व्यसन मनोरोग पीएचडी कार्यक्रम 2010 के बाद से आरंभ किया गया। - पिछले तीन वर्षों में केंद्र के संकाय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित'मादक पदार्थ उपयोग के विकार'' पर कई महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजनाओं (एन 21= ) को पूरा किया था। जिनमें से कई परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है और शेष जारी हैं। केंद्र में संकाय ने पिछले तीन वर्षों में पुस्तकों \ मैनुअल रिपोर्टें\ कार्यवाही\ नियमावली\ मोनोग्राफ के अनुक्रमित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और अध्यायों में कई लेख प्रकाशित किए
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