नाभिकीय चिकित्सा
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नाभिकीय चिकित्सा, चिकित्सा विज्ञान की एक ऐसी शाखा है जहां रेडियो न्यूक्लियाइड के उपयोग से मानव रोगों के निदान और उपचार किए जाते हैं। कृत्रिम रेडियो सक्रियता की खोज और नाभिकीय रिएक्टरों के विकास तथा कण त्वरकों की सहायता से रेडियो ट्रेसर प्रौद्योगिकी में ये एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंग / ऊतक विशिष्ट यौगिक, जिन्हें रेडियो फार्मास्युटिकल कहते हैं, नैदानिक और चिकित्सीय प्रक्रियाओं के लिए रोगी को दिए जाते हैं। नाभिकीय चिकित्सा इमेजिंग और गैर इमेजिंग प्रक्रियाओं से शरीर के अंगों की कार्यात्मक स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। रेडियो ट्रेसर प्रौद्योगिकी से शरीर क्रिया विज्ञान और जैव रसायन के संदर्भ में शरीर रचना विज्ञान या विकृति विज्ञान की तुलना में रोग को परिभाषित करना है। अल्ट्रा सोनोग्राफी, कम्प्यूटिड टोमोग्राफी (सीटी) और चुम्बकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) असामान्य संरचना के आधार पर रोग को परिभाषित करते हैं। एकल फोटॉन एमिशन टोमोग्राफी (स्पेक्ट) से डेटा का त्रिआयामी पुनर्निर्माण किया जा सकता है, संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है और अस्थि ढांचे, मस्तिष्क और हृदय की चोटों का शरीर रचनात्मक रूप से स्थान ज्ञात किया जा सकता है। ट्यूमरों के स्थानीकरण की संवेदनशीलता भी बढ़ जाती हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे संस्थान में जल्दी ही ऐसी एक प्रणाली होगी। नाभिकीय चिकित्सा में संरचना के स्थान पर कार्य और रसायन पर अधिक बल दिया जाता है। ग्लूकोज, वसा अम्ल, एमिनो एसिड के रेडियो सक्रिय तत्व शरीर के अंगों की वृद्धि और विकास की जांच संभव बनाते हैं, इनकी चोट की अवस्था में इनके पुनर्जनन और मरम्मत के साथ दवाओं की प्रतिक्रिया जानने में सहायक होते हैं। आण्विक जीव विज्ञान की उन्नति से दवाओं की प्रथा पर एक गहरा प्रभाव हुआ है। इससे ''आण्विक नाभिकीय चिकित्सा'' का जन्म हुआ है। रिसेप्टर आधारित रेडियो फार्मास्युटिकल के अध्ययनों से प्रोटीनों की जैव रसायन प्रक्रिया पर अंतर दृष्टि मिलती है, क्योंकि इनमें आनुवंशिक कोडिंग से अनुदेश लाए जाते हैं। ये अध्ययन पॉजीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) की सहायता से संभव हैं। पीईटी सिस्टम (पीईटी / सीटी) के साथ 11 एमईवी साइक्लोट्रॉन विभाग में पहले ही स्थापित किया गया है।
मैलिग्नेंट और गैर मैलिग्नेंट स्थितियों के उपचार में भी रेडियो न्यूक्लियाइड उपयोग किए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सीय नाभिकीय चिकित्सा में बड़ी प्रगति की गई है। उपयुक्त रेडियो फार्मास्युटिकल के उपयोग से लक्षित उपचार भी संभव है।