जठरांत्र रोग विज्ञान एवं मानव पोषण
- Last Updated On :
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग वर्ष 1971 में देश के लिए योग्य जठरांत्र वैज्ञानिकों को तैयार करने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था। प्रो. बद्रीनाथ टंडन ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इस विभाग के प्रथम प्रमुख थे और 31 अगस्त 1991 को उनकी सेवानिवृत्ति तक वे इस विभाग के प्रमुख बने रहे। इसके बाद प्रो. राकेश टंडन 1991 से 31 दिसम्बर 2002 तक जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग के प्रमुख रहे। प्रो. एम. पी. शर्मा 1 जनवरी 2003 से 30 अप्रैल 2004 तक जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग के प्रमुख रहे। वर्तमान में प्रो. एस के आचार्य जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग के प्रमुख पद पर हैं।
अब तक विभाग से 75 बीएम छात्रों को जठरांत्र रोग विज्ञान में प्रशिक्षण दिया गया है। वर्तमान में देश के प्रमुख संस्थानों के जठरांत्र रोग विज्ञान विभागों के प्रमुख पद पर एम्स के जठरांत्र रोग विज्ञान विभाग के पूर्व छात्र कार्यरत हैं (जो हैं एसजीपीजीआई, लखनऊ, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, जी बी पंत, दिल्ली, एसएमएस कॉलेज, जयपुर, एमएलएन कॉलेज, इलाहाबाद, एम्स, नई दिल्ली) अपने आरंभ से ही इस विभाग ने आधुनिकतम सेवाएं देकर योगदान दिया है और साथ ही ल्युमिनल जठरांत्र रोग विज्ञान जैसे विशिष्ट क्षेत्रों, यकृत के रोगों और एंडोस्कोपी में अनेक डॉक्टरों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया है।
विभाग को प्रमुख समाचार साप्ताहिक पत्रिकाओं द्वारा आयोजित सर्वेक्षणों में अनेक वर्षों से लगातार भारत में जठरान्त्र रोग विज्ञान का सर्वोत्तम विभाग माना गया है। दिसम्बर 2011 में विभाग को सीएनबीसी टीवी 18 इंडिया हेल्थ केयर पुरस्कार में सर्वोत्तम जठरान्त्र विभाग रूप में सम्मानित किया गया है।