तंत्रिका विज्ञान
अंतिम अपडेट : 20/7/11
परिचय
(सामग्री प्रदाता - डॉ; अचल के श्रीवास्तव)
न्यूरोलॉजी (तंत्रिका विज्ञान) संस्थान की पूर्व सुपर � स्पेशिएलिटी में से एक है। डॉ. जेम्स ऑस्टिन जो कि ओरेगॉन, अमेरिका के न्यूरोलॉजिस्ट (तंत्रिका विज्ञानी) थे, ने 1962-63 में चिकित्सा विभाग में न्यूरोलॉजी सेवा आरंभ की। 1965 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सुशीला नायर ने प्रो. बलदेव सिंह (एनएसआई, न्यूरोलॉजीकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के संस्थापक सदस्यों में से एक) को एम्स में न्यूरोलॉजी विभाग शुरू करने के लिए आमंत्रित किया। प्रो. बलदेव सिंह (जिन्हें भारत में 'न्यूरोलॉजी का जनक भी कहा जाता है और प्यार से 'पापा न्यूरॉन बुलाया जाता है। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद न्यूरोफिजियोलॉजी विभाग में आ गए जिसके प्रमुख डॉ. एस. एन पाठक थे और बाद में 1975 में डॉ. विमला विरमानी थी। प्रो. विमला विरमानी के बाद, प्रो. एम सी माहेश्वरी ने 1978 में विभाग का कार्यभार संभाला। वर्ष 1985 में विभाग को कार्डियोथोरेसिक और न्यूरोसाइंसेज सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया। 2001 में प्रो. एम. बेहारी ने इसका नेतृत्व संभाला। आरंभ से ही विभाग ने रोगियों की बेहतर देखभाल, अनुसंधान और अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने पर बल दिया है। यद्यपि यह विभाग 25 रोगियों के साथ शुरू हुआ था, तथापि आज न्यूरोइंटेसिव केयर सहित यहां पर 75 बेड हैं। पिछले वर्षों के दौरान बाह्य रोगी सेवाओं और आंतरिक रोगी देखभाल में अत्यधिक वृद्धि हुई है। विभाग ने व्यापक रोग देखभाल, छात्रों के शिक्षण और प्रशिक्षण के बेहतरीन रिकॉर्ड को बनाए रखने को प्रयास किया है और अनुसंधान के संदर्भ में वैज्ञानिक साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विभाग सक्रियता से गति संबंधी विकृतियों, तंत्रिका संक्रमण और प्रतिरक्षा विज्ञान आघात, पुरानी (इंट्रैक्टेबल) मिर्गी, तंत्रिका मांसपेशीय विकार, नींद, सिर दर्द, डिमेंशिया (भूलने की बीमारी)। इत्यादि जैसे सब - स्पेशिएलिटी के क्षेत्र में नैदानिक देखभाल और अनुसंधान कार्यकलाप करता है। विभाग के पास विभिन्न न्यूरोलॉजीकल विकारों के निदान और रोकथाम के लिए नवीनतम साधन हैं। विभाग आरंभ से ही चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है और विशेष रूप से स्टेम सेल, पार्किंसन रोग, आघात, मिर्गी, तंत्रिका मांस पेशीय विकारों, निद्रा और सिरदर्द के क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण नैदानिक और आधारभूत अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। विभाग द्वारा नियमित रूप से रोगी सूचना कार्यक्रमों और वैज्ञानिक विचार विमर्शों का आयोजन किया जाता है। विभाग का संकाय नियमित रूप से टेलीविजन और रेडियो इत्यादि पर जन जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेता है और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सीएमई कार्यक्रमों में सक्रिय है।