चिकित्सा कैंसर विज्ञान
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परिचय
चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग क्लिनिकल, शिक्षण और अनुसंधान कार्यकलापों में उत्कृष्ट है। 1984 में अपने आरंभ से इसका कार्यभार निरंतर बढा है : वर्तमान में आईआरसीएच में प्रतिवर्ष पंजीकृत होने वाले लगभग 70,000 मामलों में से चिकित्सा कैंसर विज्ञानविभाग में ही 37,000 मामले आते हैं। इसके साथ � साथ चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग विभिन्न क्लिनिकों जिसमें स्तन, गैस्ट्रोएंटोलॉजी, सिर एवं गला, शल्य चिकित्सा और ईएनटी, पीडिएट्रिक ओन्कोलॉजी, पीडिएट्रिक सर्जरी, लंग कैंसर, आप्थैलमिक सीए, अस्थि एवं मांसल ऊतक और यूरोलॉजी क्लिनिक शामिल है, में रोगी देखभाल सेवाएं प्रदान करता है। इसकी डे-केयर सेवाएं अत्यधिक व्यस्त होती हैं जिसमें लगभग 60 रोगी प्रतिदिन आते हैं। इसके साथ � साथ नियमित वार्ड में भी रोगी भर्ती किए जाए हैं तथा 7000 से अधिक रोगियों की बाह्य रोगी आधार पर कीमोथेरेपी की जाती है और सप्ताह में तीन दिन ओपीडी आधारित प्रक्रियाएं संपन्न की जाती हैं।
चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग डीएम और पीएचडी कार्यक्रम भी चला रहा है। वर्तमान में इसके यहां 11 डीएम और 5 पीएचडी के छात्र हैं।
यह देश के उन चुनिंदा केंद्रों में से एक है जहां पर हीमेटोपायटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम शुरू किया गया है। सांघातिक और गैर सांघातिक हीमेटोलॉजीकल विकारों के उपचार के लिए लगभग 350 ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। सीटीवीएस विभाग के सहयोग से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम का मायोकार्डियल इस्केमिया का उपचार करने के लिए भी उपयोग किया गया है। वर्तमान में, डॉ. आर. पी. सेंटर और पीडियट्रिक सर्जरी के सहयोग से चरण दो अध्ययन भी किए जा रहे हैं ताकि रेटिना पिगमेंटोसा और स्पाइना बाइफिडा के उपचार में स्टेम सेल की भूमिका का पता लगाया जा सके।
हमने हीमेटोपायाटिक स्टेम सेल्स के वैकल्पिक स्रोत अर्थात फीटल लीवर की भी जांच की है। इसमें हमने कुछ साइटोकाइन्स के स्राव को दर्शाया है जो एप्लास्टिक एनीमिया के रोगियों को ठीक करता है। इसके साथ-साथ, विभाग ने समुदायों में कैंसर जागरुकता और कैंसर जांच के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है। पड़ोसी राज्यों और दिल्ली के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया है। शहरी स्लम निवासियों में कैंसर का पता लगाने हेतु स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया गया और 10,000 लोगों की स्क्रीनिंग की गई।
चिकित्सा कैंसर विज्ञान स्कूलों और समुदायों में कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए कई एनजीओ के साथ सक्रियता से कार्य कर रहा है। चिकित्सा कैंसर विज्ञान फैकल्टी कई सतत शिक्षा कार्यक्रमों / कार्यशालाओं / संगोष्ठियों में भाग लेती रही है जो कि चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग द्वारा पिछले कई वर्षों से विभिन्न विषयों यथा हीमेटो-ओन्कोलॉजी, कैंसर स्क्रीनिंग और जागरुकता फेफड़ों का कैंसर, कैंसर टीम प्रबंधन, कोलोरेक्टल कैंसर, हीमेटोपायटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इत्यादि पर नियमित रूप से आयोजित की जा रही है। इनमें से कई कार्यक्रमों का वित्तपोषण डब्ल्यूएचओ द्वारा किया गया।
चिकित्सा कैंसर विज्ञान ने पारंपरिक विधियों यथा प्राणायाम, योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया में अनुसंधान करने की पहल भी की है। अनुसंधान से पता चला है कि इन तकनीकों का मस्तिष्क, अंत:स्रावी और प्रतिरक्षा प्रणाली पर लाभकारी प्रभाव होता है। एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरक्षा में भी इन पद्धतियों से सुधार होता है। इन निष्कर्षों पर विचार करने हेतु 2002 में एम्स में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। देश � विदेश की कई फैकल्टी ने इसमें प्रस्तुतीकरण दिए और इस कार्यक्रम में 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस विषय पर फरवरी, 2006 में नई दिल्ली �एस्पेंडिंग पैराडाइम्स, साइंस, कांशियसनेस एंड स्प्रिच्युएलिटी� पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। देश � विदेश के कई फैकल्टी सदस्यों ने इसमें प्रस्तुतीकरण दिया और वहां पर लगभग 1500 प्रतिभागी थे।
चिकित्सा कैंसर विज्ञान ने फेफड़ों के कैंसर का उपचार करने के लिए एंटीटोक्सीडेंट की भूमिका की भी जांच की है। यह वास्तव में अनुसंधान का नवोन्मेषी क्षेत्र है, इस कार्य का एक भाग प्रकाशित भी हो चुका है।