पाठ्यक्रम
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आपातकालीन चिकित्सा विभाग
आपातकालीन चिकित्सा में एमडी डिग्री प्रदान करने के लिए विभाग स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाता है। चयन अखिल भारतीय आधारित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाता है। सत्र जनवरी और जुलाई में दो बार शुरू होते हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान विभाग में 46 स्नातकोत्तर रेजिडेंट थे, जिनमें एक विदेशी राष्ट्रीय/प्रायोजित उम्मीदवार भी शामिल था।
तीन वर्ष के प्रशिक्षण के दौरान, रेजिडेंट्स को बाल चिकित्सा और वयस्क दोनों तरह की आपात स्थितियों से अवगत कराया जाता है। आपात स्थिति के प्रबंधन में और अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए उन्हें अन्य विभागों/ केंद्रों के माध्यम से चक्रानुक्रम में पदस्थापित किया जाता है। चक्रानुक्रम पदस्थापना में ट्रॉमा सेंटर और अन्य नैदानिक विभाग शामिल हैं। उन्हें विभिन्न आपातकालीन प्रक्रियाओं जैसे कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन, वेंटिलेशन, हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग, सेंट्रल लाइन इंसर्शन, फ्रैक्चर मैनेजमेंट, डायग्नोस्टिक और चिकित्सीय तौर-तरीकों के रूप में सोनोग्राफी, और अन्य में भी प्रशिक्षित किया जाता है। विभाग में रेजिडेंट्स और स्नातक छात्रों के लिए एक गहन शिक्षण कार्यक्रम है। हर सप्ताह, तीन सेमिनार, दो केस डिस्कशन और एक जर्नल क्लब आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, विभाग अपने रेजिडेंट्स को एक अत्याधुनिक सिम्युलेटर पर प्रशिक्षित करता है जहाँ रेजिडेंट्स विभिन्न आपातकालीन स्थितियों का प्रबंधन सीखते हैं। विभाग आपातकालीन चिकित्सा (सेमिनार, जर्नल क्लब, केस डिस्कशन, पैनल डिस्कशन) के रेजिडेंट्स के लिए सप्ताह में दो बार, लगभग नौ घंटे के लिए शैक्षणिक गतिविधियों का एक कार्यक्रम चलाता है। रोगियों की आपातकालीन देखभाल में अल्ट्रासाउंड के उपयोग पर रेजिडेंट्स को शिक्षा व कौशल प्रदान किया जाता है। रेजिडेंट्स को प्रादर्श-आधारित शिक्षण (टेबल-टॉप और उच्च-निष्ठा प्रादर्शों दोनों पर) प्रदान किया जाता है। जीवंत वर्कशॉप, कैडेवर-आधारित प्रशिक्षण और व्यावहारिक कौशल सत्रों ने रेजिडेंट्स में रोगियों के प्रबंधन हेतु आत्मविश्वास की वृद्धि की है।