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परिचय
पूर्व में काय-चिकित्सा विभाग के अंतर्गत नैदानिक इम्यूनोलॉजी एवं रूमेटोलॉजी प्रभाग के रूप में क्रियाशील रहे रूमेटोलॉजी विभाग की स्थापना दिनांक 7 अगस्त, 2015 को एक अलग अति विशिष्टता विभाग के रूप में की गई थी। इस विभाग की संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) उमा कुमारी हैं। वर्तमान में, विभाग में प्रोफेसर उमा कुमारी सहित पांच संकाय सदस्य, छह वरिष्ठ रेज़ीडेंट एवं दो कनिष्ठ रेज़ीडेंट (गैर-शैक्षिक) हैं। विभाग द्वारा बाह्य रोगी सेवाएं, अंत:शिरा आधान (जीवविज्ञान संबंधी कारक, कीमोथेराप्यूटिक दवाइयां एवं स्टेरॉयड पल्स आदि) इंटरवेंशन्स (ज्वांइट इंजेक्शन, विभिन्न बायोप्सी) और मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड हेतु अत्याधुनिक रूमेटोलॉजी डे केयर सुविधा प्रदान की जाती है। विभाग में एक पूर्ण रूप से क्रियाशील नैदानिक इम्यूनोलॉजी प्रयोगशाला है जिसमें इम्यूनोलॉजिकल और रूमेटोलॉजिकल रोगों की जांच की जाती है। प्रति वर्ष लगभग 50000 प्रयोगशाला जांचें की जाती हैं।
विभाग ने अपने आरंभ से ही महत्वपूर्ण प्रगति की है। पिछले एक वर्ष में विभाग द्वारा लगभग 40000 रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाली बाह्य रोगी सेवाएं प्रदान की गई हैं। रूमेटॉयड गठिया, सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमाटोसस, स्क्लिरोडर्मा, वेस्कुलाइटिस, सूजनयुक्त मायोसाइटिस आदि जैसे सूजनयुक्त गठिया के विभिन्न प्रकारों से लेकर व्यापक तरह के रोगों से पीडित रोगियों का बाह्य रोगी क्लिनिक में उपचार किया जाता है।
विभाग रूमेटोलॉजिकल रोगों के बारे में लोगों में जागरूकता लाने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। प्रत्येक वर्ष विभिन्न जन-स्वास्थ्य व्याख्यान एवं ऑडियो/वीडियो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनके माध्यम से रोगियों को रोगों तथा इनके उपचार के बारे में बताया जाता है। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा निरंतर रूप से चिकित्सकों के लिए सीएमई एवं अपडेट का आयोजन किया जाता है। समय-समय पर रूमेटिक विकारों पर विभिन्न जागरूकता पुस्तिकाओं का वितरण भी किया जाता है।