केन्द्रीय कार्यशाला
परिचय
केन्द्रीय कार्यशाला ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा कोलंबो प्लान के तहत 1964 में भारत में विश्व स्तरीय बायोमेडिकल उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्थापित की गई थी।
केन्द्रीय कार्यशाला के कर्मचारियों को विभिन्न विषयों में ऑस्ट्रेलिया में प्रशिक्षित किया गया था, जैसे : -
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- विद्युत
- मैकेनिकल (फिटर, टर्नर व टूल मेकर)
- शीट मेटल
- रेफ्रिजरेशन
- फाइन इंस्ट्रूमेंट
- चित्रकारी, बढ़ईगीरी और जॉइंटर
केंद्रीय कार्यशाला को विश्व स्वास्थ्य संगठन की परियोजना भारत 0199 भी सौंपी गई थी जिसमें डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के माध्यम से सीडब्ल्यूएस की परियोजना के तहत चिकित्सा उपकरणों के रखरखाव के लिए तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाना था। केंद्रीय कार्यशाला ने भारत के विभिन्न राज्यों के अस्पतालों से आने वाले 206 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है और इसमें दक्षिण पूर्वी एशिया के विकासशील देशों जैसे श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश, पाकिस्तान और बर्मा देश शामिल हैं।
एम्स में केंद्रीय कार्यशाला न केवल चिकित्सा शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान और अस्पताल सेवाओं में प्रयुक्त विभिन्न उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव के कार्य में संलग्न है बल्कि यह आवश्यकता के अनुसार उपकरणों के रूपांतरण द्वारा अनुसंधान गतिविधियों में भी सहायता देती है। केंद्रीय कार्यशाला द्वारा विभागों की ओर से दी गई विशिष्टियों के अनुसार उपयोगी उपकरणों के निर्माण और डिजाइन का कार्य भी लिया जाता है।
इस विभाग के अध्यक्ष संकाय समन्वयक डॉ. शशिकांत (प्रो. समुदाय चिकित्सा केन्द्र विभाग) हैं और यह मुख्य तकनीकी अधिकारी, श्री आदर्श कुमार शर्मा के नियंत्रण में है।