Dr. D. Bhowmik Professor & Head यह ईमेल पता spambots से संरक्षित किया जा रहा है. आप जावास्क्रिप्ट यह देखने के सक्षम होना चाहिए. |
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Dr. R.K.Yadav Additional Professor यह ईमेल पता spambots से संरक्षित किया जा रहा है. आप जावास्क्रिप्ट यह देखने के सक्षम होना चाहिए. |
Dr. Arun Kumar S Associate Professor यह ईमेल पता spambots से संरक्षित किया जा रहा है. आप जावास्क्रिप्ट यह देखने के सक्षम होना चाहिए. |
Department PA: Mr Ashok Kumar
Telephone Number: 011-26593292 (9.30 am – 5.00 pm)
Department of Nephrology
Introduction
Department of nephrology started in 1969 initially as a unit of department of medicine. Dr. Awasthi working in the department of medicine set-up dialysis unit around 1970 and first hemodialysis was done on 5th Aug 1971. However, the renal clinic already existed since 27th Oct 1969. Professor KK Malhotra was first faculty looking after the nephrology unit of the department of medicine after returning from USA. Thereafter, Prof. Ramesh Kumar joined in 1973. Before that in April 1972, first renal transplant was already done in the department. Subsequently, faculty in the unit of nephrology was Prof. SC Dash, who joined the nephrology on 25th March 1977 followed by Prof. SC Tiwari in September 1980.
In early days, nephrology was in a building called ‘old operation theatre’ block, where ward was on first floor (without a lift) and dialysis unit was on ground floor. Department shifted in main hospital block just before Dipawali in 1987 on 4th floor when neurosurgery shifted from 4th floor to ‘CN Center’. Recently department was renovated to match with a private set-up hospital with a teaching hospital expertise. Initially there were two types of resident in nephrology, one who were coming from medicine and other who were joining nephrology directly. In the earlier period resident joining nephrology directly were doing Diplomate Board of Nephrology through National Board of Examination.
In 1989 department of nephrology was created with two faculty and D.M. in nephrology was started in 1992. In 1989 Prof. SK Agarwal joined the separated department as adhoc faculty and then continued as regular faculty since 1991. Subsequently four more faculty members, Dr. Sanjeev Saxena, Dr. Sanjay Gupta, Dr. D Bhowmik and Dr. S Mahajan joined the department, while Prof. KK Malhotra, Prof. Ramesh Kumar, Prof. SC Dash and Prof. SC Tiwari and Prof.SK. Agarwal left the department following retirement (Voluntary or otherwise) or resignation. Dr Soumita Bagchi, Dr RK Yadav and Dr Arunkumar S joined the department as faculty members during the next few years. Currently, department has five faculty and thirteen senior resident strength. It has nine regular hemodialysis stations, four isolation hemodialysis stations, and two acute intermittent peritoneal dialysis beds. It provides one of best nephrology care for it’s all aspect, to patients of all socioeconomic background in a public sector hospital set-up including plasmapheresis, CRRT, SLED etc on a much subsidized cost. Currently department is doing nearly 140 renal transplant per year; majority being living related and also cadaver renal transplant.
बाह्यरोगीसेवाएं
नेफ्रोलॉजीविभागद्वारानिम्नलिखितबाह्यरोगीक्लिनिकसंचालितकिएजातेहैं:
गुर्दाक्लिनिक:
सोमवार,मंगलवार,गुरुवारऔरशुक्रवारसुबह9 बजेसे
सोमवारऔरगुरुवार: डॉएसकेअग्रवाल,डॉएसबागचीऔरडॉअरुणकुमारएस
मंगलवारऔरशुक्रवार: डॉडीभौमिक, डॉएसमहाजनऔरडॉआरकेयादव
गुर्दाप्रत्यारोपणक्लिनिक:
सोमवारऔरगुरुवारदोपहर: सभीसलाहकार
गुर्दाप्रत्यारोपणकाउंसलिंगक्लिनिक:
सोमवार,मंगलवार,गुरुवारऔरशुक्रवारसुबह9 बजेसे
नेफ्रोलॉजी
बाह्य रोगी सेवाएं
नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा निम्नलिखित बाह्य रोगी क्लिनिकसंचालित किएजातेहैं:
गुर्दा क्लिनिक:
सोमवार,मंगलवार,गुरुवार और शुक्रवार सुबह 9 बजे से
सोमवार और गुरुवार: डॉ एस के अग्रवाल,डॉ एस बागची और डॉ अरुण कुमार एस
मंगलवार और शुक्रवार: डॉ डी भौमिक, डॉ एस महाजन और डॉ आर के यादव
गुर्दा प्रत्यारोपण क्लिनिक:
सोमवार और गुरुवार दोपहर: सभी सलाहकार
गुर्दा प्रत्यारोपण काउंसलिंग क्लिनिक:
सोमवार,मंगलवार,गुरुवार और शुक्रवार सुबह 9 बजेस
परिचय
नेफ्रोलॉजी विभाग की शुरुआत वर्ष 1969 में काय चिकित्सा विभाग की एक इकाई के रूप में हुई थी। 1970 के आसपास काय चिकित्सा विभाग में कार्यरत डॉ. अवस्थी ने डायलिसिस यूनिट स्थापित की और पहला हेमोडायलिसिस 5 अगस्त 1971 को किया गया। गुर्दा क्लिनिक पहले से ही 27 अक्तूबर 1969 से अस्तित्व में था। प्रोफेसर के के मल्होत्रा यूएसए से लौटने के बाद काय चिकित्सा विभाग की नेफ्रोलॉजी इकाई की देखभाल करने वाले पहले संकाय सदस्य थे। इसके बाद, प्रो. रमेश कुमार 1973 में शामिल हुए। इससे पहले अप्रैल 1972 में विभाग में पहला गुर्दा प्रत्यारोपण पहले ही किया जा चुका था। इसके बाद, नेफ्रोलॉजी की इकाई में प्रोफेसर एस सी दास थे, जिन्होंने 25 मार्च 1977 को नेफ्रोलॉजी में कार्य भार संभाला और उसके बाद सितंबर 1980 में प्रो एस सी तिवारी आए थे।
शुरुआती दिनों में, नेफ्रोलॉजी 'ओल्ड ऑपरेशन थिएटर' ब्लॉक नामक एक इमारत में थी, जहाँ पहले तल पर वॉर्ड (बिना लिफ्ट के) था और डायलिसिस यूनिट भूतल पर थी। यह विभाग मुख्य अस्पताल ब्लॉक में 1987 में दीपावली से ठीक पहले चौथे तल पर स्थानांतरित हुआ जब न्यूरोसर्जरी चौथे तल से 'सीएन सेंटर' में स्थानांतरित हो गई। हाल ही में विभाग को एक शिक्षण अस्पताल विशेषज्ञता के साथ एक निजी व्यवस्था वाले अस्पताल के साथ मिलाने के लिए पुनर्निर्मित किया गया था। नेफ्रोलॉजी में शुरू में दो तरह के रेजीडेंट थे, एक जो काय चिकित्सा विभाग से आ रहे थे और दूसरे जो सीधे नेफ्रोलॉजी से जुड़ रहे थे। पहले की अवधि में नेफ्रोलॉजी में सीधे शामिल होने वाले रेजीडेंट नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के माध्यम से डिप्लोमेट बोर्ड ऑफ नेफ्रोलॉजी कर रहे थे।
वर्ष 1989 में नेफ्रोलॉजी विभाग दो संकायों के साथ बनाया गया था और डी. एम. नेफ्रोलॉजी में 1992 में शुरू किया गया था। 1989 में प्रो. एस के अग्रवाल तदर्थ संकाय के रूप में अलग विभाग में शामिल हुए और फिर 1991 से नियमित संकाय के रूप में कार्य करना जारी रखा। इसके बाद चार और संकाय सदस्य, डॉ. संजीव सक्सेना, डॉ. संजय गुप्ता, डॉ. डी भौमिक और डॉ. एस महाजन विभाग में शामिल हुए, जबकि प्रो. के के मल्होत्रा, प्रो रमेश कुमार, प्रो. एस सी दास और प्रो. एस सी तिवारी ने सेवानिवृत्ति (स्वैच्छिक या अन्यथा) या इस्तीफा देने के बाद विभाग से चले गए। डॉ. सौमिता बागची, डॉ. आर के यादव और डॉ. अरुण कुमार एस अगले कुछ वर्षों के दौरान संकाय सदस्यों के रूप में विभाग में शामिल हुए। वर्तमान में, विभाग में छह संकाय और तेरह वरिष्ठ रेजीडेंट हैं। इसमें नौ नियमित हेमोडायलिसिस स्टेशन, चार आइसोलेशन हेमोडायलिसिस स्टेशन और दो तीव्र इंटरमिटेंट पेरिटोनियल डायलिसिस बेड हैं। यहां सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल में सभी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के रोगियों हेतु, प्लाज्मा फेरेसिस, सी आर आर टी, एसएलईडी आदि सहित बहुत अधिक रियायती लागत पर, नेफ्रोलॉजी के सभी पहलुओं के लिए इसकी सर्वश्रेष्ठ देखभाल प्रदान की जाती है। वर्तमान में विभाग प्रति वर्ष लगभग 140 गुर्दा प्रत्यारोपण किए जा रहे हैं; इनमें से बहुसंख्यक जीवित संबंधी से किए गए हैं और मृत शरीर (कैडेवर) से किए गए गुर्दा प्रत्यारोपण भी हैं।
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